सावित्री बाई फुले का शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान- सामाजिक न्याय मंत्री कुशवाह सावित्री बाई फुले की 194वी जयंती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए मंत्री
सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मप्र शासन के मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने महानायिका सावित्री बाई फुले के 194वी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सावित्री बाई फुले का योगदान अमूल्य है, जिसे हम भूला नही सकते।
आदिवासी विकासखण्ड मुख्यालय कराहल स्थित रामसभा बाबा प्रागंण जनपद कार्यालय के पास कुशवाह समाज के तत्वाधान में आयोजित उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि महानायिका सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदिकवियत्री के रूप में भी जाना जाता था। सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं। हर बिरादरी और धर्म के लिये उन्होंने काम किया। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में लोग उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फेंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं। अपने पथ पर चलते रहने की प्रेरणा बहुत अच्छे से देती हैं।
उन्होने 5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्हों ने महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने की भी व्यवस्था की।
कार्यक्रम के दौरान विजयपुर विधायक मुकेश मल्होत्रा, पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह, सबलगढ के पूर्व विधायक बैजनाथ कुशवाह, नगरपरिषद विजयपुर के अध्यक्ष कमलेश कुशवाह सहित समाज के प्रबुद्धजन एवं गणमान्य नागरिक आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर सभी अतिथियों का कुशवाह समाज की ओर से स्वागत किया गया तथा समाज के मैधावी विद्यार्थियों को मंच से सम्मानित किया गया।
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